पटना। संसदीय कार्य मंत्री एवं जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि कश्मीर की तत्कालीन परिस्थितियों का समग्रता में आकलन किए बिना उस दौर के नेताओं की आलोचना अशोभनीय है। उन्होंने मंगलवार को यहां कहा कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने वाले मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के कई आयाम हैं।
विजय कुमार चौधरी ने कहा कि शुरू से ही स्पष्ट था कि यह अस्थायी व्यवस्था है। दूसरे, जिस 370 (3) के तहत वर्त्तमान केन्द्र सरकार के फैसले को सही बताया गया है, उसे भी संविधान निर्माताओं ने दूरदर्शी एवं विवेकपूर्ण सोच के तहत संविधान में उसी वक्त डाला था, जिसके आधार पर आज सरकार का फैसला उचित माना गया।
चौधरी ने कहा कि इसी तरह कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद में जानबूझकर वहां की संविधान सभा का उल्लेख किया गया है न कि विधान सभा का। यह साफ था कि एक निश्चित अवधि के पश्चात् संविधान सभा का अस्तित्व स्वयं समाप्त हो जाएगा, फिर संघीय व्यवस्था बिना किसी रुकावट के लागू हो जाएगी।
जदयू नेता ने कहा कि कश्मीर की संविधान सभा होते हुए भी प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त किया गया तथा उन्हें जेल भेजा गया। यह प्रमाण है कि उस समय भी कश्मीर में राष्ट्रीय हित की उपेक्षा नहीं की जा सकती थी।
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