आजादी के सात दशक गुजरे पर अन्नदाता किसानो के हिस्से में सिर्फ आश्वासन
जीवन के लिए अनिवार्य ” अनाज ” पैदा करने वाले किसानो को सरकारों ने छला
खाद , बीज की मॅहगाई ने किसानों की तोड़ी कमर
नहीं माफ हुए किसानों के कर्ज व विजली के बकाया
बस्ती l आज जगह – जगह चुनावी किसान दिवस का आयोजन हो रहा है परन्तु यदि आज किसान दिवस पर सरकार द्वारा किसानों के कर्ज व बिजली के बकाए के माफी की घोषणा की जाती तो शायद किसानों के नेता स्व० चौधरी चरण सिंह को असली श्रद्धांजलि मिल पाती ।
” *देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता हैं* ” यह नारा देने वाले स्व० चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर 1902 को गांव नूरपुर ( हापुड़ ) पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुआ था । उनकी पहचान किसान राजनेता के रूप में थी जो देश के पाँचवें प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित किया । चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया । इनके जीवन संगिनी का नाम गायत्री देवी था । चौ० चरण सिंह बड़े बुद्धिमान , विद्वान , अर्थशास्त्र के ज्ञाता , कुशल राजनीतिज्ञ एवं शासक , कर्मयोगी , निडर , ईमानदार , निपुण कार्यकर्ता , सिद्धान्तों के धनी , स्वाभिमानी , सत्य के पुजारी , भ्रष्टाचार एवं अन्याय के विरोधी , सरदार पटेल की भांति लौहपुरुष , दयानन्द सरस्वती के धार्मिक शिष्य , सच्चे , गरीबों के मसीहा , महान देशभक्त एवं भारत माता के सच्चे सपूत थे । ऐसे कर्मयोगी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी समर्पित हो सकती है जब सरकार किसानों के सच्चे हितैषी होने के प्रमाण स्वरूप आज के अवसर पर किसानों के कर्ज माफी एवं बिजली के बकाए के माफी की शुरुआत करे नहीं तो अपने जननेता स्व० चौधरी चरण सिंह की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाली सरकार को उचित समय पर किसान सबक सिखाने का कार्य करेंगे । किसानों के बिना जीवन की कल्पना करना दिवास्वप्न देखने जैसा है ।
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