समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सत्ता केन्द्रित राजनीति के कारण गरीबों की सत्ता में भागीदारी नहीं हो सकती है। गरीब आज भी सत्ता की ताकत से अपरिचित है। भाजपा गरीबों को अपनी राजनीति का मोहरा बनाने का काम कर रही है। राजनीति जनसेवा का माध्यम है जबकि भाजपा की राजनीति पेशेवराना है।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकारें जनता की बातें नहीं सुनना चाहती है वह सिर्फ अपने मन की बात सुनाती है। विपक्ष के प्रति उसका रवैया उपेक्षा का है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में उसका विश्वास नहीं। संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जा रहा है और संविधान की मूलभावना से ही खिलवाड़ किया जाने लगा है।
श्री यादव ने कहा कि आज देश को विकसित भारत बनने का खोखला सपना दिखाया जा रहा है। जिस देश में आज भी करोड़ों लोगों को दो वक्त की रोटी और रोजगार उपलब्ध न हो, अन्नदाता किसान कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर रहा हो और महिलाएं-बच्चियां रोज दुष्कर्म की शिकार हो रही हो, वहां ‘गारंटी‘ की घंटी बजाकर लोगों को धोखा देना कहां तक उचित है?
श्री अखिलेश यादव ने कहा कि देश की नई पीढ़ी, जिस पर कल का सारा दारोमदार है, वह हताशा में डूबी हुई है। उसके पास न शिक्षा की सुचारू व्यवस्था है और नहीं रोटी-रोजगार की गारंटी है। देश में व्यापार और उद्योग जगत सरकारी हस्तक्षेप और उत्पीड़न से बुरी तरह परेशान है। उत्तर प्रदेश में निवेश के नाम पर 40 लाख करोड के एमओयू होने का दावा किया जा रहा है लेकिन अभी तक एक भी उद्योग नहीं लगा और न ही किसी को रोजगार मिला है।
श्री यादव ने कहा कि देश महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। लोगों को जिंदगी चलाना दूभर हो गया है। भाजपा सरकार ने अपनी छापामार एजेंसियों की बदौलत सब तरफ भय और आतंक का वातावरण बना दिया है। सत्ता की लिप्सा में भाजपा ने चुनावों की प्रक्रिया को भी संदेहास्पद बना दिया है। अब एक ही तरीका बचा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा हटे तो ईवीएम हटे और देश की तमाम समस्याओं का भी उचित समाधान हो सके।
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