जयंती पर केजीएमयू में कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ। छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती पर बुधवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच के तत्वावधान में समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान केजीएमयू के मुख्य द्वार पर स्थापित शाहूजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए गए।
केजीएमयू के ब्राउन हाल में शाहूजी महाराज के जन्मदिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने उस समय सामाजिक न्याय की नींव रखी थी जिस समय कोई कल्पना नहीं कर सकता था। उस समय देश के राजाओं में प्रथम राजा रहे जिन्होंने 1902 में ही अपने राज्य में सामाजिक न्याय की अवधारणा को लागू किया। इसके साथ अपने राज्य में सभी समाज को समान अधिकार, समान शिक्षा को लागू करके इतिहास कायम किया था। उन्होंने सदियों से चले आ रहे एकाधिकार को समाप्त किया था।
कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो. कालीचरण सनेही ने कहा कि शाहूजी महाराज ने ज्योतिबा राव फुले से प्रेरणा लेकर समतामूलक समाज की स्थापना करते हुए अपने राज्य में लागू किया। शाहूजी महाराज अपने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सभी समाज के लोगों देखकर उनकी पीड़ा को समझते हुए अपने राज्य में अमूलचूक परिवर्तन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच के अध्यक्ष रामचंद्र पटेल ने कहा कि शाहूजी महाराज को महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि संसद के प्रांगण में भी उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। इससे साबित होता है कि शाहूजी महाराज का देश और समाज के उत्थान में बड़ा योगदान रहा है। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
जयंती समारोह में पद्मश्री प्रो. एसïएन कुरील ने कहा कि राजा होना बड़ी बात नहीं है। राजा तो बहुत हुए लेकिन शाहूजी महाराज ऐसे राजा थे जिन्होंने प्रजा के बारे में करीब से अनुभव करके उनके दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझते हुए कार्य किया। इस तरह से देश में बहुत कम राजा थे जिन्होंने शोषित, पीडि़त और वंचित समाज के लिए अपना पूरा समय न्योछावर किया था।
कार्यक्रम में भन्ते दीपांकर दीप, राजेश कुमार सिद्धार्थ, एडवोकेट अरूण कुमार पटेल, अमरनाथ प्रजापति, डॉ. सत्यवती दोहरे, गौतम जयन्त, भारत सिंह, वीरेन्द्र सिंह व कई अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर सामाजिक कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया।
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