पर्दे के पीछे चल रहा फर्जी हाजिरी और बढ़ाकर एमबी करने का खेल
अयोध्या। विकास खंड मवई क्षेत्र में मनरेगा से कराए जाने वाले विकास कार्यों की गुणवत्ता की जांच और स्टीमेट आकलन करने के लिए लगाए गए मनरेगा जेई (तकनीकी सहायक) की तैनाती में क्लस्टर नियमों का पालन नहीं किया गया है। किसी को आठ से नौ तो किसी को 10 से 11 वहीं किसी को 22-22 ग्राम पंचायतों की जिम्मदारी दे दी गई है। इतना ही नहीं कुछ जेई को मनपसंद गांव दिए गए हैं, यहां क्लस्टर का पालन न कर विकास कार्यों की निगरानी के नाम पर खेल किया जा रहा है।
जिले के सबसे पिछड़े ब्लाक मवई क्षेत्र में 51 ग्राम पंचायतें हैं। इन ग्राम पंचायत में मनरेगा से कराए गए विकास कार्य की तकनीकी गुणवत्ता और सरकारी धन का दुरुपयोग न हो, इसके लिए ब्लाक में चार जेई आशीष तिवारी, रामकुमार, प्रभाकर व राम अभिलाष तैनात हैं। क्लस्टर की बात करें तो जेई आशीष तिवारी को 22 गांवों की जिम्मेदारी दी गई है। एक से दूसरे गांव की दूरी भी काफी है। क्लस्टर के नियम के अनुसार सभी ग्राम पंचायतें सटी होनी चाहिए। वहीं राम अभिलाष को 12 ग्राम पंचायतें, रामकुमार को 8 ग्राम पंचायत और प्रभाकर को 9 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी दी गई है। ब्लाक में केवल एक जेई आशीष तिवारी को अकेले करीब आधी ग्राम पंचायतें बांट दी गई। ऐसे में गांवों में जेई की तैनाती को लेकर क्लस्टर नियम की पूरी तरह से ताक पर रखा गया है। जिसके कारण सभी को बराबर गांव नहीं मिल पाया है।
बीडीओ मवई अनुपम वर्मा का कहना है कि क्लस्टर का पालन करने के लिए संशोधन प्रक्रिया चल रही है। क्लस्टर के अनुसार आवंटन सूची की लिस्ट जिले पर भेजी गई है, जो जिलाधिकारी के स्तर से स्वीकृत होने के बाद लागू होगी।
ग्राम प्रधानों की पहली पसंद बना एक जेई
मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में जेई आशीष तिवारी ग्राम प्रधानों की पहली पसंद बने हैं। हर ग्राम प्रधान अपनी पकड़ से उन्हें अपनी ग्राम पंचायत में तैनात कराना चाहते है। ऐसे 22-22 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी का निर्वहन जेई आशीष तिवारी आखिर कैसे करते होंगे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि एमबी करने में जेई को महारत है जिसकी वजह से अधिकतर ग्राम प्रधान उन्हें अपने गांव में तैनात कराने के लिए जोर लगाते हैं।
Leave a comment