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बाढ़ से निपटने की तैयारियों की गृह मंत्री अमित शाह ने की समीक्षा

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मानसूनी बारिश में तेजी से पहले सरकार अलर्ट


सिक्किम व मणिपुर में आई बाढ़ की गृह मंत्रालय ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट


नई दिल्ली। देश में बाढ़ से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में गृह मंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में आने वाली बाढ़ से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की।


बैठक में केंद्रीय जय शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मौजूद रहे। इसके साथ ही जल संसाधन, नदी विकास और नदी संरक्षण, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण-वन और जलवायु परिवर्तन, सडक़ परिवहन और राजमार्ग, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, एनडीएमए के सदस्य, एनडीआरएफ और आईएमडी के महानिदेशक, सीडब्ल्यूसी, एनएचएआई के अध्यक्ष और संबंधित मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।


बैठक के दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री ने पिछले साल हुई बैठक में लिए गए निर्णयों पर हुई कार्रवाई की भी समीक्षा की। इसके साथ ही सभी एजेंसियों द्वारा अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकों और उनके नेटवर्क के विस्तार पर भी बैठक के दौरान चर्चा हुई। उन्होंने बाढ़ नियंत्रण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा उपलब्ध कराई गई सैटेलाइट इमेज के विभिन्न एजेसियों द्वारा अधिकतम इस्तेमाल पर भी बल दिया गया।


उन्होंने मौसम विभाग और केन्द्रीय जल आयोग को निर्देश दिया कि उन्हें वर्षा और बाढ़ चेतावनी में उपयोग होने वाले सभी उपकरणों को हर साल कैलिबरेट करना चाहिए। सिक्किम और मणिपुर में हाल ही में आई बाढ़ का विस्तृत अध्ययन कर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। उन्होंने ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि देश के सभी प्रमुख बांधों के फ्लडगेट्स सुचारु रूप से कार्य कर रहे हैं।


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जो नदियां बारहमासी नहीं हैं, उनमें मिट्टी का कटाव अधिक होता है और गाद जमना बाढ़ का कारण बन जाता है। उन्होंने निर्देश दिया कि नदियों के जलस्तर के पूर्वानुमान को अपग्रेड कर बाढ़ की समस्या को कम करने के प्रयास हो। श्री शाह ने कहा कि बाढ़ की स्थिति में जलजमाव से निपटने के लिए सडक़ निर्माण के डिजाइन में ही प्राकृतिक जलनिकासी को शामिल किया जाना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि उत्तर पूर्व में कम से कम 50 बड़े तालाब बनाकर ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को डाइवर्ट करने की व्यवस्था हो, जिससे बाढ़ से निजात मिले और कृषि, सिंचाई व पर्यटन विकसित हो। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिलेगा।


गृह मंत्री ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पर्यावरण मंत्रालय को आग लगने से पहले ही इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समुचित एहतियाती कदम उठाए जाने के निर्देश दिए। गृह मंत्री ने इसके लिए नियमित रूप से फायरलाइन बनाने, सूखे पत्तों को हटाने और स्थानीय निवासियों और वनकर्मियों के साथ समय-समय पर मॉक ड्रिल करने की ज़रूरत पर बल दिया।
उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा विकसित मौसम, वर्षा और बाढ़ चेतावनी संबंधित एप्स को एकीकृत किए जाने की जरूरत पर जोर दिया, जिससे इनका लाभ लक्षित आबादी तक पहुंच सके। बैठक के दौरान भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग व अन्य एजेंसियों ने विस्तृत प्रस्तुतियां दीं। सभी संबंधित विभागों ने पिछले साल हुई बाढ़ समीक्षा बैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों पर की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने मौजूदा मानसून के लिए की गई अपनी तैयारियों और भविष्य की कार्ययोजना के बारे में भी जानकारी साझा की।

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