नई दिल्ली। परिवर्तन साहित्यिक मंच के तत्वावधान में समकालीन रचनाकार तेज प्रताप नारायण के कविता संग्रह ‘एक नदी थी सई’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वरिष्ठ कवि, आलोचक एवं आजकल पत्रिका के पूर्व संपादक राकेश रेणु, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सरोज कुमारी, युवा आलोचक जय प्रकाश फाकिर और भोजपुरी एवं हिंदी के युवा हस्ताक्षर संतोष पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए।
अपने लेखकीय वक्तव्य में तेज प्रताप नारायण ने कहा कि हम सभी को नदियों का लोकल गार्जियन बनना होगा । जैसे मां अपने बच्चे को सुरक्षित रखती है, उसी तरह हम सबको पानी के बूंद-बूंद की सुरक्षा करनी होगी। आलोचकों ने कविता संग्रह को एक महत्वपूर्ण संग्रह बताया। उसमें उठाए गए विषयों और शिल्प की विवेचना की । किताब का प्रकाशन परिकल्पना प्रकाशन ने किया है ।
परिचर्चा के उपरांत काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सीमा पटेल, दामिनी यादव, शोभा सचान, ज्योति मिश्रा, शिव शंकर एहसास, श्रवण यादव, मुकेश सिन्हा और जितेंद्र पटेल ने अपनी कविताओं से उपस्थित लोगों को भाव विभोर कर दिया ।
कार्यक्रम का संचालन सुशील द्विवेदी और भारती प्रवीण ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुशील द्विवेदी, भारती प्रवीण, त्वरित, मीनाक्षी, श्रवण यादव, दीपक और अनिल ने विशेष भूमिका निभाई ।
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